A Fall inspired poem
इन पत्त्तों को गिरना ही था!!
वसंत के नये उमंग से
एक हरियाली की निशान आयी है
पत्ते निकल आये हैं
हरे पत्त्तों ने साफ़ प्राण का शपत लिया है
ताजे फल बनाने का वचन दिया है
तन्दुरुस्थी की सबक सिखाया है
कौआ कबूथर, चिड़िया बैटे, पत्त्तों को खाये
चोँच मारी, सफाई की, गन्दगी बी फैलायी
अंगीटी या सिगरेट, कार या ट्रक की गन्दी धुआं आ बैटें
अपने शपत को भूला नहीं, उन पत्त्तों ने सफाई की
हथोडी और बच्चों के पथ्थर से मार खाई
चुपचाप अपने काम पे लगे रहे
शरद् ऋतु में गिरना ही था
सर्दी के बाद जब वसंत आती है
इन पत्त्तों ने अपना काम भूला नहीं
काश आदमी ने उन पत्त्तों से कुछ सीखा होता
तो अपने दिल को साफ़ रखता
इन पत्त्तों को गिरना ही था!!
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